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    Monday, 8 November 2010

    Shaadi ka Sach

    Fact of Shaadi in India

    अभी शादी का पहला ही साल था,
    ख़ुशी के मारे मेरा बुरा हाल था,
    खुशियाँ कुछ यूं उमड़ रहीं थी,
    की संभाले नही संभल रही थी..

    सुबह सुबह मैडम का चाय ले कर आना
    थोडा शरमाते हुये हमें नींद से जगाना,
    वो प्यार भरा हाथ हमारे बालों में फिरना,
    मुस्कुराते हुये कहना की...

    डार्लिंग चाय तो पी लो,
    जल्दी से रेडी हो जाओ,
    आप को ऑफिस भी है जाना...

    घरवाली भगवान का रुप ले कर आयी थी,
    दिल और दिमाग पर पूरी तरह छाई थी,
    सांस भी लेते थे तो नाम उसी का होता था,
    इक पल भी दूर जीना दुश्वार होता था...

    ५ साल बाद........

    सुबह सुबह मैडम का चाय ले कर आना,
    टेबल पर रख कर जोर से चिल्लाना,
    आज ऑफिस जाओ तो मुन्ना को
    स्कूल छोड़ते हुए जाना...

    सुनो एक बार फिर वोही आवाज आयी,
    क्या बात है अभी तक छोड़ी नही चारपाई,
    अगर मुन्ना लेट हो गया तो देख लेना,
    मुन्ना की टीचर्स को फिर खुद ही संभाल लेना...

    ना जाने घरवाली कैसा रुप ले कर आयी थी,
    दिल और दिमाग पर काली घटा छाई थी,
    सांस भी लेते हैं तो उन्ही का ख़याल होता है,
    अब हर समय जेहन में एक ही सवाल होता है...

    क्या कभी वो दिन लौट के आएंगे,
    हम एक बार फिर कुंवारे हो जायेंगे.... ...!
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